Sunday, November 5, 2017

इज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग : सरकार आकंड़ो से चौसर पर शह - मात दे रही है

अर्थव्यवस्था में मंदी के दौर पर चल रही बहस के दौरान , जब वर्ल्ड बैंक ने "किसी देश में व्यापर करना कितना आसान है" इस पर अपनी रिपोर्ट में , भारत की रैंकिंग को 130 से 100 किया , तो चौतरफा आलोचना झेल रही सरकार को , राहत की साँस महसूस हुई। सरकार के नुमांइदों ने तुरंत इसका धन्यवाद प्रधानमंत्री को समर्पित करते हुए , अर्थव्यवस्था की बहस में अपनी अप्रत्यक्ष जीत घोषित कर दी।  वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग का 130 से 100 पर पहुंचना , आश्चर्यजनक जरुर है , वो भी ऐसे समय में जब भारतीय अर्थव्यवस्था में नोटबंदी और जीएसटी जैसे दो बड़े आर्थिक परिवर्तन हुए हो , और  बाजार और रोजगार की हकीकत वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के एकदम विपरीत लगती हो, मगर रिपोर्ट वर्ल्ड बैंक की है इसलिए इस पर सवाल उठाना इतना आसान नहीं था । लेकिन इस बात को समझना बेहद जरुरी है की आखिर ये कमाल हुआ कैसे ?
इज ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट बनाते समय वर्ल्ड बैंक के कुछ पैमाने है , जिसमे वो किसी भी उद्योग के लिए बुनियादी इंफ़्रा से सम्बंधित चीज़ो को आधार बनाता है। भारत ने इसमें दस में से छः चीज़ो पर अपनी रैंकिंग ठीक करी है , जबकि बाकि चार पर या तो वो पहले जैसी है या उसमे गिरावट है , लेकिन इन चार के आधार पर बाकि छः में सुधार को कमतर करके नहीं आंका जा सकता। वर्ल्ड बैंक अपनी रिपोर्ट बनाते समय किसी भी देश के एक शहर को आधार बनाता है , चूँकि भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई को कहा जाता है , इसलिए अब तक वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट बनाते समय मुंबई को आधार बनाता था। इस बार भारत सरकार ने वर्ल्ड बैंक को मुंबई के साथ दिल्ली को भी शामिल करने के लिए कहा, जिसे वर्ल्ड बैंक ने मान लिया। तकनीकी रूप से यह बात सही लगती है की मुंबई के साथ दिल्ली भी व्यापार का केंद्र है इसलिए इसको शामिल करना गलत नहीं है लेकिन साथ में यह भी समझना पड़ेगा की दिल्ली में सारे उद्योग नहीं लगते।  अधिकतर उद्योग एनसीआर में लगते है जिनमे नोएडा , गाज़ियाबाद , गुडगाँव , फरीदाबाद जैसे अन्य राज्यों के शहर सम्मिलित है।  वर्ल्ड बैंक अपनी रिपोर्ट बनाते समय सम्बंधित शहर की नगर निगम , राज्य सरकार और केंद्र सरकार को सम्मिलित करता है। यानि उद्योग लगे उत्तर प्रदेश और हरियाणा के शहरो में और आधार बना दिल्ली का नगर निगम। साथ ही दिल्ली चूँकि केंद्र शासित प्रदेश और मेट्रो शहर है इसलिए यँहा चीज़ो की अनुमति लेना भारत के बाकि शहरों की तुलना में थोड़ा आसान है। मान लीजिये आप उद्योग के लिए कमर्शियल बिजली का कनेक्शन लेना चाहते है तो बाकि शहरो की तुलना में दिल्ली में यह आपको थोड़ा आसानी से मिल जायेगा। 
हाँ सरकार ने एक काम जरुर किया है वो है ऑनलाइन व्यवस्था। सरकार ने चीज़ो को डिजिटल करके भ्र्ष्टाचार के ह्यूमन इंटरस्ट को  कम जरूर कर दिया मगर आधारभूत ढांचे की बुनियादी समस्या को दूर नहीं किया। ये कुछ वैसा ही है जैसे आपने एक व्यवस्था की समस्या को दूसरी व्यवस्था खड़ी करके खत्म कर दिया। लेकिन आधारभूत ढांचे की बुनियादी समस्या का खत्म होना अभी काफी हद तक बाकि है।  सर्वर और कन्नेक्टविटी की समस्या अभी बाकि है साथ ही डिजिटल व्यवस्था के आने के बाद किसी समस्या के लिए कौन जिम्मेदार होगा यह भी बड़ा सवाल है । 
बहरहाल वर्ल्ड बैंक की इस रिपोर्ट को सारे  भारत की बदलती हुई  तस्वीर न समझा जाये क्यूंकि ये सिर्फ दो शहरों की रिपोर्ट है।  भारत के अन्य शहरों में उद्योग कितनी आसनी से लग सकते है इससे हम सभी अवगत है। सरकार बड़ी आसानी से आंकड़ों और कुछ खास चीज़ो को दिखाकर कैसे अपनी सफलता का रिपोर्ट कार्ड पेश करती है इस खेल को सभी को समझना आना चाहिए। सरकार के इस आंकड़ों के खेल में वर्ल्ड बैंक के लोग भी बेवकूफ बनते है  और बाकि बचे हुए लोग भी और ऐसे ही सरकार आलोचक और  विरोधियो को भी  चौसर पर शह और मात दे देती है। 

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